अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही आपको पासवर्ड याद रखने की जरूरत नहीं होगी। गूगल ऐसे ही एक नए लॉगिन मैथेड का परीक्षण कर रहा है। यह 'ट्रस्ट बेस्ड' सिस्टम उस तरीके पर नजर रखता है कि आप अपने फोन पर किस तरह से टाइपिंग करते हैं।

इसके तहत लगातार कई निजी संकेतों की जांच की जाती है। इसके बाद ही फोन या अकाउंट को एक्सेस किया जा सकता है। पासवर्ड पूछने की जगह फोन आपके चेहरे, आवाज, आप कैसे टाइप करते हैं, कैसे स्वाइप करते हैं, कैसे चलते हैं और कहां हैं, जैसी बातों का विश्लेषण करेगा।
ये सारी बातें API में फिट की जाती हैं, जिसके बाद वह एक ट्रस्ट स्कोर जेनरेट करता है। इसके आधार पर यह सिस्टम तय करता है कि फोन का इस्तेमाल आप ही कर रहे हैं या कोई और।
इस पूरी कवायद का मकसद डिवाइस को अधिक सुरक्षित बनाना है। कोई हैकर आसानी से आपका पासवर्ड चुरा सकता है। मगर, आपके फोन को इस्तेमाल करने के तरीके की कॉपी करना किसी दूसरे व्यक्ित के लिए लगभग असंभव होगा। गूगल का मानना है कि इन तथ्यों के संयोजन के आधार पर बना लॉगिन सिस्टम फिंगर प्रिंट स्कैन के मुकाबले 10 गुना अधिक सुरक्षित होगा।
इसके परीक्षण की शुरुआत जल्द ही शुरू होगी। मगर, गूगल के डैन कॉफमैन ने कहा कि यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो साल के अंत तक यह हर एंड्रॉयड डेवलपर के लिए उपलब्ध होना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो जल्द ही पासवर्ड याद रखना पुराने जमाने की बात हो जाएगी।
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